बुधवार 18 दिसंबर 2024 - 16:59
ज़माने ग़ैबत में मरजय तकलीद और वली ए फकीह की हिदायतों पर अमल करना ज़रूरी है

हौज़ा / उन्होंने कहा कि ग़ैबत के दौर में मरजइयत और विलायत की रहनुमाई को अपनाना हमारी ज़िम्मेदारी है दीन को महफ़ूज़ रखने के लिए हमें अपनी ज़ुबान आंख और कान पर काबू रखना होगा।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , अहले-बैत (अ) आलमी असेंबली के सचिव जनरल हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रेजा रमज़ानी ने कहा कि ग़ैबत के दौर में मरजइयत और विलायत की हिदायतों पर अमल करना ज़रूरी है।

उन्होंने कहा कि दीन को महफूज़ रखने के लिए इंसान को मेहनत करनी होगी और अपनी आंख कान और ज़ुबान की हिफाज़त करनी होगी।

ज़ाहेदान की मस्जिद अली बिन अबी तालिब अ.स. में नमाज़ियों से ख़िताब करते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रेजा रमज़ानी ने इमाम रजा अ.स. की एक हदीस का हवाला देते हुए कहा कि एक मोमिन इंसान की तीन ख़सूसियतें हैं: पहली, रब की सुन्नत, दूसरी, पैगंबर की सुन्नत, और तीसरी, इमाम की सुन्नत।

उन्होंने कहा, रब की सुन्नत 'राज़ को छिपाना' है, पैगंबर की सुन्नत लोगों के साथ नरमी और सहनशीलता से पेश आना है और इमाम की सुन्नत कठिनाइयों और तंगदस्ती में सब्र करना है।

रब की सुन्नत यानी राज़ को छिपाने की तशरीह करते हुए उन्होंने कहा कि रिवायत के मुताबिक अगर लोगों के अंदरूनी हालात ज़ाहिर हो जाएं, तो कोई भी किसी को दफन नहीं कर सकेगा। अल्लाह तआला सितार उल-आयूब और इंसानों के राज़ों का रखवाला है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रमज़ानी ने कहा कि हमें लोगों की मदद करने की कोशिश करनी चाहिए न कि उनकी गलतियाँ तलाशने की एक मोमिन को मुसीबतों के सामने मजबूती से खड़ा रहना चाहिए और असली ईमान का मिज़ाज दिखाना चाहिए।

सबर और इस्तक़ामत की अहमियत पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा कि इमाम के साथ रहने के लिए सब्र और कुर्बानी ज़रूरी है अगर हम इमाम ज़माना (अ.स.) के साथ रहना चाहते हैं, तो हमें सब्र और इस्तक़ामत के साथ उनके इंतजार में रहना होगा।

मुन्तज़िरों की ज़िम्मेदारियों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि खुद को संवारना दूसरों को बेहतर बनाना, और ज़ोहूर की ज़मीन तैयार करना उनका फर्ज़ है उन्होंने कहा कि इमाम ज़माना अ.स.की मौजूदगी को मानना और उनसे मोहब्बत और पहचान रखना ज़रूरी है।

उन्होंने कहा कि इमाम ज़माना अ.ज.इस वक्त भी मौजूद हैं और हमारी इमामत फरमा रहे हैं लेकिन वे नज़रों से छिपे हुए हैं। हमें उनकी मदद के लिए अब से तैयार रहना चाहिए।

आखिर में उन्होंने तकीद की कि हमें अपने वक्त के इमाम के साथ वफ़ादार रहना चाहिए ताकि इमाम ज़माना अ.स. के ज़ोहूर के लिए ज़मीन तैयार की जा सके।

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